मानव शक्ति चालित यन्त्र,पशु धन चलित यन्त्र, ट्रैक्टर चलित यंत्र के बारे में जाने


3 कृषि यंत्रों का परिचय (Introduction to agriculture  machinery ) हिंदी में  

आज हम कृषि में उपयोग आने वाले कुछ महत्वपूर्ण यंत्रों के बारे में पड़ेंगे और उसके बारे में आपको बताएंगे कि कौन सा यंत्र किस काम आता है इससे खेती में आपको हमेशा सुविधा मिली रहे। इन यंत्रों का उपयोग में लेकर किसान खेत को भूरभुरा और उपयोगी बनाता है। आइए यंत्रों के बारे में एक-एक करके वर्णन करते हैं- 

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                       भू परिष्करण यंत्र

  फसल उगानेे हेतु मृृदा मेें उचित स्थिति बनानेे के के लिए बुुुुवाई से पहलेेेेेे और कटाई पश्चात शक्ति यांत्रिक क्रियाओं को भू परिष्करण कहते हैं। 

शक्ति स्रोत आधार को कैसे यंत्रों को तीन भागों में बांटा गया है-

1 मानव शक्ति चालित यन्त्र

2 पशु धन चलित यन्त्र 

3 ट्रैक्टर चलित यंत्र

 कृषि कार्य के आधार पर कृषि यंत्र 2 प्रकार से बांटे गए हैं- 

  प्रारंभिक भू परिष्करण - बुवाई से पहले की गई यात्री क्रियाओं को प्रारंभिक भू परिष्करण  हैं। 

उदाहरण- पाटा लगाना, जुताई करना, आदि।  

   द्वितियक भू -परिष्करण - बुवाई करने के बाद से लेकर कटाई करने के बाद तक के सभी कार्य द्वितियक भू परिष्करण कहते हैं। 

उदाहरण- निराई -गुड़ाई में, दवाई छिड़कना आदि। 





        


यंत्रों के बारे में सामान्य जानकारी समझे - 

👉देसी हल सवसे पुराना व सवसे ज्यादा काम में लिया जाने वाला हल हैं। 

👉सबसे भारी प्रकार के हल काली (कपास वाली‌) मृदा के  क्षेत्रों में काम  लिये जाते हैं।

👉 हल बनाने के लिए बबूल व कीकर की लकड़ी काम में लेते हैं। 

 👉हलो‌ में मिट्टी चिरने का कार्य फाल द्वारा‌ होता हैं। 

 👉 देशी हल द्वारा वनाई जाने वाली कूड का आकार V के समान होता है। 

 घास  की कटाई के लिए मोअर काम में  लेते हैं। 

  बड़े आकार के बीज बोने बोने के लिए प्लॉन्टर  काम में लेते हैं। 

  बाजरा, ज्वार, आदि की कटाई के लिए रीपर काम में लेते हैं।

बीज बोने के लिए सर्वोत्तम यंत्र सीडड्रिल है।  

सीडड्रिल से बुवाई करते समय खाद वह बीज  की दूरी 2 cm रखते हैं। 

दलहनी फसलें लेग्युमिनेसी कुल में आती है। 

 कल्टीवेटर का सदुपयोग खडी फसल में लेते निराई गुड़ाई में  किया जाता है।  


                   कृषि यंत्र (Farm Machinary)

 कृषि फार्म में बीज बोने से लेकर फसल कटाई व थृशिग तक के कार्यों के लिए विभिन्न प्रकार के यंत्रों का उपयोग किया जाता है। 

  👉 प्राथमिक भू परिष्करण में काम में आने वाले उपकरण- 

1 देशी हल- मुख्य रूप से यह हल लकड़ी का बना हुआ होता है। लेकिन इसका कुछ भाग लोहे का बना होता है यह हल मिट्टी को पलटता नहीं है इससे मृदा की पूर्ण जुताई नहीं हो पाती है। क्योंकि इसकी जुताई के बाहर कुछ भाग विना जुता हुआ रह जाता है। 

2 मिट्टी पलटने वाला हल - यह हल मृदा को गहराई से काटकर पलट देता है। इससे खेत की खरपतवार नष्ट हो कर दब जाते हैं और मिट्टी  की उर्वरा शक्ति को बढ़ाता है।  (A)  तवेदार हल - कंकरीली, पथरीली, खुरदरी व चिकनी रेतीली मृदाओ के लिए यह हल उपयुक्त है। इसमें लगे तेज धार वाले तवे जमीन में घुस कर मृदा  को भुरभुरी बनाते हैं। 

(B) पंखेवाले हल - इसके फार की नोंक नुकिली होती हैं। जोकि जुताई करते समय पहले मृदा के अन्दर प्रवेश करती हैं। यह मृदा को भुरभुरी बनाती हैं। 

  👉द्वितियक भू -परिष्करण में काम आने वाले उपकरण - 

 1 स्पाइक टूथ हेरो - इस के दांते नीचे की तरफ नुकिले होते हैं। जो कि जमीन को चिरते हुए चलते हैं। जो जुते हुए खेत में ढेलों को तोड़ते हुए चलते हैं। 

2 कमानीदार हैरो - इस के दांतों का आकार कमानीदार होता हैं जो मुलायम स्टील के बने होते हैं‌ जो कठोर व पथरीली मिट्टी वाले खेतों में प्रयोग किए जाते हैं। 

3 तवा हैरो - तेज धार वाले स्टील के तवे होते हैं जो घुमते हुए मृदा को काटकर भुरभुरा वना देते हैं। 

4 कल्टीवेटर - यह खेतों में पक्तियां में बोई गई फसल में निराई गुड़ाई के लिए प्रयोग किया जाता है। इसका मुख्य उद्देश्य खरपतवार नष्ट करना, ऊपरी परत तोडना, खाद मिलाना आदि में किया जाता है। 







                 बुबाई में काम आने वाले यंत्र 

1. हल  पीछे नाई इसे बूआई  - देसी हल के पीछे लगे खोखले बांस या लोहे के पाइप से जुड़ी हुई कीप में बीज की बुवाई की जाती है। 

2. डीबलर द्वारा - लोहे की आयताकार फ्रेम में निश्चित दूरी पर खुटीयां लगी होती है, इससे बुवाई करने पर बीज से बीज की दूरी एवं गहराई एक समान रहती है। 

3. सीड ड्रिल - इस मशीन का प्रेम लोहे का बना होता है इसके ऊपर लकड़ि या  लोहे की चादर का बना बीज बक्सा होता है, प्याले का बीज, बीज नली  से होता हुआ लोहे की खोखरी नली में पहूंचता  है। 

              फसलों में कटाई मड़ाई यंत्र- 

1. हंसिया - इसका उपयोग फसल को काटने के काम में लिया जाता है

2. रीपर - इसके द्वारा ज्वार, बाजरा, मक्का आदि की कटाई की जाती है इसके ब्लड दातेदार पैदा होते हैं।  

3. मोअर - ऐसे यंत्र से घास काटी जाती है इसलिए इस मशीन में तेज धार ब्लेड होता है। 

4. कम्बाइन - इस मशीन से खेत में खड़ी फसल की कटाई तथा मड़ाई एक साथ की जाती है। यह खेत में दूसरे को भी खेलता है जो मृदा में कार्बनिक पदार्थ की मात्रा को बढ़ाता है। 

5. थ्रेसर - ट्रैक्टर इंजन या मोटर द्वारा चालित होता है जो फसल को बंदर ग्रुप में मशीन की फिल्डिग ट्रे में डाला जाता है।  जिससे चारा ब दाना अलग हो जाता है। 



        



       खेतों में पाटा ब मेड बनाने वाले यंत्र

1. पाटा - यह लकड़ी का एक 1.5 से 3.0 मीटर लंबा एवं 20-30 cm चौड़ा होता है जिसमें रस्सी बांधने के लिए आगे की तरफ दो कुंदे लगे होते हैं। इसका उपयोग मिट्टी के ढेले पोड़ने में मिट्टी को दबाने के लिए किया जाता है जिससे वाष्पीकरण की हानि को रोका जा सके। 

2.  रिज मेकर (मेड बनाने बाला यंत्र)  - इसमें लोहे की दो चाद्दरो को इस प्रकार जोड़ा जाता है कि सामने की परस्परिक दूरी आधिक एव पीछे कम रहती है। 

                 पादप सुरक्षा उपकरण-

1. फुहारा - यह कीटनाशकों के छिड़काव हेतु सर्वाधिक प्रचलित उपकरण है इसके द्वारा छिड़काव किया जाता है। 

2. धूलित- डस्ट के रूप में कीटनाशी, कवकनाशी का बुरकाव किया जाता है। 


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